फराह खान की नई फिल्म हैप्पी न्यू इयर में ऐसी क्या खास बात है कि प्रदर्शित होते दर्शक इसे देखने के लिए टूट पड़े हैं। सोशल मीडिया के गलियारों में इस फिल्म को लेकर बहुत गहमा-गहमी है और समीक्षकों के मिक्स रिस्पांस ने उन दर्शकों को संशय में डाल दिया है जो अभी इस शाहरूख मेनिया से रूबरू नहीं हुए हैं। कई समीक्षक, जो अब तक हैदर के हैंगओवर से जूझ रहे हैं, उन्हें इस फिल्म की प्रारंभिक रिकार्ड तोड़ आय मीडिया का फैलाया हुआ भरम लग रही है। प्रदर्शन के पहले दिन आय के नए कीर्तिमान स्थापित कर चुकी हैप्पी न्यू इयर में आखिर ऐसी क्या बात है कि ये फिल्म सफलता के रथ पर सवार दौड़ी जा रही है। इस असरदार कामयाबी की वजह जानने के लिए आपको मल्टीप्लैक्स से दूर किसी ठाठिया सिंगल थिएटर में जाना होगा, वहां की टिकट लेकर थोड़ी सख्त कुर्सियों पर बैठना होगा। यहां आम आदमी का सिनेमा ही राज करता है। निम्न मध्यमवर्गीय दर्शकों के इन थिएटर्स में फिल्में मौज मनाने, उल्लास में झूमने, हूटिंग करने के माहौल में देखी जाती हैं। ये थिएटर्स बहुत अच्छे प्रशंसक हैं तो उतने ही सख्त न्यायधीश भी। दरअसल हैप्पी न्यू इयर इसी दर्शक का सिनेमा है, जो दिपावली पर दो हजार की खरीदारी करता है और सिंगल थिएटर में 50 रूपए की टिकट खरीद कर फिल्म देखता है। इसी दर्शक के लिए फराह खान ने अपना सिनेमा रचा है और उनका स्वागत दुदुंभि बजाकर किया गया है।
फिल्म निर्देशक फराह खान की पिछली असफलताएं भूल जाइएं, क्योंकि इस बार उन्होंने हैप्पी न्यू इयर के हर डिपार्टमेंट पर जमकर मेहनत की है। एक आम कहानी को बहुत बेहतर स्क्रीनप्ले में बदल दिया गया है। कैरेक्टर बिल्डिंग के लिए हर किरदार के हिसाब से विशेष दृश्य गढ़े गए हैं। गानों की सिचुएशन बिलकुल सटीक है तो एॅक्शन और संगीत के लिहाज से भी बहुत मेहनत की गई है। फिल्म से जुड़े हर शख्स ने टीमवर्क की तरह काम किया है। दीपिका पादुकोण इस सुतली बम के पैकेज में एक खूबसूरत अनार की तरह पेश की गई है और उनकी रोशनाई से फिल्म अंत तक जगमगाती रहती है। अभिषेक बच्चन दुगने आत्मविश्वास के साथ परदे पर लौटे हैं और धूम-३ से ज्यादा प्रशसंक उन्होंने नंदू भिड़े की भूमिका से जुटा लिए हैं। फराह खान ने भी खुद को ऐसी निर्देशक के रूप में स्थापित कर लिया है जो फिल्म मेकिंग के गंभीर स्कूल की विधाओं में माहिर तो नहीं है लेकिन दर्शक का दिल जीतना बखूबी जानती है और बॉक्स ऑफिस की जंग जीतने के लिए दिल जीतना ही काफी होता है।
हैदर से घृणा बांटी जा सकती है और हैप्पी न्यू इयर से दिल जीते जा सकते हैं। मैं सिंगल थिएटर में हैप्पी न्यू इयर देखते समय इंटरवल में एक 15 साल के दर्शक से मिला, जिसे ये फिल्म बहुत पसंद आई और वो इसका पूरा मजा लेने के लिए जेब में रखा इकलौता 20 रूपये का नोट कोल्ड ड्रिंक के लिए खर्च करने के लिए तैयार था, वहीं नोट जो उसने घर तक सिटी बस में जाने के लिए बचा रखा था।